अत्यधिक गर्मी के दिनों को नो तपा क्यों कहा गया ?
कोंच(जालौन) जिस तरह धड़ी की सुई सुवह दोपहर और शाम होने का अहसास कराती है उसी प्रकार नक्षत्रों की आकाशीय घड़ी में जब सूर्य रोहिणी के सामने आता है तो वह मध्य भारत में तीक्ष्ण गर्मी का समय बताता है जब सूर्य की परिक्रमा करते हुए 365 दिन बाद पृथ्वी उस स्थिति में आ जाती है जब कि सूर्य के पीछे वृषभ तारा मण्डल का स्टार रोहिणी आ जाता है तो इससे पहले नो दिनों को नो तपा कहते हैं नो तपा के दौरान सूर्य और पृथ्वी के बीच की दूरी सबसे कम हो जाती है जिसके कारण सूर्य की किरणें सीधी पृथ्वी पर पड़तीं है और अधिक तापमान पैदा करतीं है इसके कारण यह नो दिन साल के सबसे गर्म दिन होते है इन दिनों में तली भुंजी और मसालेदार चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए और वासी खाना खाने से भी बचना चाहिए इन नो तपा दिनों में पशु पक्षियों को जो पानी की व्यबस्था करता है ऐसे लोगों को धार्मिक मान्यता के अनुसार पुण्य प्राप्त होता है नो तपा के दौरान प्रत्येक व्यक्ति को घर से बाहर निकलने पर अपने शरीर को सूती कपड़ों से ढककर व पानी लेकर निकलना चाहिए जिससे शरीर मे पानी की कमी न होने पाए हमारे डॉक्टरों द्वारा भी एडवाईजरी जारी की जाती है कि अत्यधिक गर्मी के दौरान पानीदार फलों का जैसे खीरा ककड़ी तरबूज आदि का सेवन करना चाहिए और अत्यधिक प्यास लगने पर नींबू ग्लूकोज इलेक्ट्रोल आदि लेना चाहिए जिससे शरीर में पानी का स्तर नियंत्रित बना रहे और हम लू से बचे रहें।
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