किताबों व ड्रेस के नाम पर लूट रहे हैं निजी विद्यालय
शिकायतों के बावजूद अफसर और कर भी नहीं करते कार्रवाई
अमित गुप्ता
संवाददाता
कदौरा/ जालौन कदौरा निजी स्कूलों की लूट अनियंत्रित हो चुकी है किताबों ड्रेस आदि के नाम पर अभिभावकों से बेहिसाब वसूली का क्रम जारी है बेहतर पढ़ाई के माध्यम से बच्चों का भविष्य बनाने के लिए अभिभावक भी मन मसोसकर उनकी मांगों को किसी तरह पूरा करने में लगे हैं
स्कूलों में नया सत्र शुरू होते ही अभिभावकों की परेशानी बढ़ गई है मासिक फीस मैं इजाफा संग डेवलपमेंट फीस नाम पर ली जाने वाली मोटी रकम उनको भारनी पड़ रही है कॉपी किताब का सेट कितना महंगा है कि उसे खरीदने में उनके पसीने छूट रहे हैं कई निजी स्कूलों में तो पहली से आठवीं कक्षा की किताबों का सेट चार से छह तक का पड़ा है अभिभावक बेबस होकर अपनी जेब कटवाने में लगा है बच्चों को बेहतर शिक्षा दिलाने के लिए वह अपने बजट में कटौती करते फीस, कॉपी किताबें ड्रेस खरीद रहा है इसके चलते जुलाई महीने में उनका बजट गड़बड़ा गया है सबसे अधिक पीड़ा सालाना सिलेबस चेंज होने से हो रहा है जिस कारण पुरानी किताब चलन से बाहर हो जाती हैं स्कूल दुकानों को तय कर देते हैं इसके अलावा कहीं और काफी किताबें व ड्रेस नहीं मिलती है इन सब के पीछे की वजह स्कूलों को मिलने वाला कमीशन है कहां काफी किताबों व ड्रेस में स्कूलों को पचास से साठ प्रतिशत तक कमीशन मिलता है सरकार ने भले ही किताब दुकानों में बुक खरीदने पर ग्राहकों को पक्का बिल देना अनिवार्य कर दिया है लेकिन यहां उसका पालन नहीं हो पा रहा है
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