संयुक्त प्रांत के जालौन जिले की कालपी ही प्राचीन प्रभावती नगरी थी
अमित गुप्ता
संवाददाता
कालपी ( जालौन) कालपी तुलसी शब्दार्थ प्रकाश " नामक सन 1874 ई में एक भाषा ग्रन्थ में वर्णन है कि काल्पी में महिर्षि व्यास जी ने अवतार लिया था !
सन 330 और 400 ई के बीच बासुदेव ने यह नगर बसाया था!प्रति द्वापर में अवतीर्ण होकर भगवान वेदों का विभाग करते हैं!अकेले इस वैवस्तव मन्वन्तर में ही अब तक 28 व्यास हो चुके हैं!गत द्वापर के अन्त में वे श्रीकृष्ण द्वैपायन जी के नाम से श्री परशर मनु के पुत्र रूप में अवतीर्ण हुए थे!
पाराशर मनु के यमुना नदी पार करने में सत्यवती से सहवास से व्यास जी का जन्म हुआ था !ये वो ही केवट कन्या है जिनका पीछे महाराज शान्तनु से विवाह हुआ था!और जिनकी सन्तान को राज्य देने के निमित महात्मा भीष्म पितामह ने आजन्म विवाह न करने और राज्य न लेने की प्रतिज्ञा की थी!
लोगों को आलसी अल्पआयु मंदमति और पापरत देखकर महिर्षि व्यास ने वेदों का विभाजन किया!अठारह पुराणों की रचना करके उपाख्यानों द्वारा वेदों को समझाने की चेष्टा की उनका मनुष्य जाति पर अनंत उपकार है यह जगत उनका आभारी है!
यमुना नदी के बगल में वर्तमान काल्पी के पश्चिमी सीमा पर बहुत खण्ड हर हैं ये खण्ड सर प्राचीन प्रभावती नगरी के हैं!
भारत वर्ष में रेल का प्रचार होने से पहले काल्पी व्यापार का एक बडा़ केन्द्र था रेल आने पर यह बस्ती उजड़ कर कानपुर बसा है पत्थरों के बडे़ बडे़ आलीसान मकान खाली पडे़ हैं अब भी इस नगर मे म्युनिसपैल्टी है ! मराठों के समय का पुराना किला यमुना के तट पर था उसके घाट और दूसरे चिन्ह स्पष्ट मौजूद हैं!इसी किले पर देश भक्त नाना साहेब व वीरांगना लक्ष्मीबाई सन 1857 में आकर रहीं थीं इससे अंग्रेजों ने इसे नष्ट कर डाला इसी स्थान पर अब डाक बंगला है जो स्थिति के विचार से संयुक्त प्रांत के सबसे अच्छे बंगलों में कहा जा सकता है ! बंगले से आधे मील की दूरी पर यमुना के तट पर एक टीला है जिसको लोग व्यास टीला कहते है!और उसके आस पास की भूमि एक मील दूरी तक व्यास क्षेत्र कहलाती है !बतलाया जाता है आई महिर्ष व्यास जी की जन्म भूमि का यही स्थान है!यहां से 14 मील की दूरी पर बेतवा नदी के किनारे एक स्थान प राशन है जिसे पाराशर मनु की तपस्या भूमि कहा जाता है!मराठों ने पराशर मनु का मन्दिर वहां बनवा दिया था!पिण्ड दान करने को दूर दूर से लोग वहां आते है!पराशर मनु महिर्षि व्यास के पिता थे!
जिस समय लेखक रामगुपाल मिश्रा काल्पी के सब डिविजनल मजिस्ट्रेट थे उन दिनों उन्होंने माधव राव सिन्धिया व्यास हाईस्कूल यहां खोला था जो बहुत अच्छी दशा में चल रहा है और इण्टर कालेज हो गया है!इसको खोलने के लिए उक्त लेखक को एक धर्मार्थ समिति की स्थापना करनी पड़ी थी !जो अभी कुछ वर्ष पहले तक उन्हीं के सभापतित्व में सात आठ हजार रुपया प्रतिवर्ष दान में देती रही थी !
काल्पी मे रावण के एक भक्त नें लंका बनावाई है जिन्होंने उस वक्त लगभग सवा लाख रूपया खर्च किया था!इसकी मीनार बहुत दूर से दिखाई देती है !संसार में कहीं और रावण की स्मृति में नहीं बनाई गयी है यह काल्पी की ही विशेषता है!
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