ज़िंदगी का न भरोसा,फिर ये नफ़रत किस लिए?
अमित गुप्ता
उरई (जालौन) पहचान संस्था की काव्यात्मक श्रद्धांजली गोष्ठी जिले की क्रियाशील साहित्तीक संस्था पहचान की एक काव्य गोष्ठी संस्था के संरक्षक रहे ज्योति स्वरूप खरे को काव्यात्मक श्रद्धांजली दी गोष्ठी की अध्यक्षता जिले के वरिष्ठ साहित्यकार यज्ञदत्त त्रिपाठी जी और संचालन संस्था संस्थापक अध्यक्ष गिरधर खरे ने की वाणी वंदना शिखा गर्ग ने की फिर दिव्यांशु दिव्य ने पढ़ा, सामाजिक सेवक रहे, सदमूल्यो की खान,
ट्रेजरी के अफसर बड़े ज्योति दिव्य महान, इसके बाद अभिषेक सरल ने पढ़ा,तेरा ये शहर कुछ कुछ मेरे गाँव के जैसा है,दरख़्त का जलवा तेरे बरगद की छाव के जैसा है, फिर शिरोमणि सोनी ने पढ़ा, ज़िंदगी का न भरोसा,फिर ये नफ़रत किसलिए, प्रेम तो सदा जिन्दा है रहता,फिर ये फितरत किस लिए,ब्रह्मप्रकाश अवस्थी दीपक ने पढ़ा,इक न इक दिन सबको जाना नही किसी को यहां ठिकाना,वरिष्ठ शाइर असरार अहमद मुक़री ने पढ़ा,साहित्य और सियासत में कोहना रहे खरे,
बाज़ारे अहले इल्म में सोना रहे खरे,,दोस्तों से जो पूछा तो हंस के सभी बोले,नायाब दोस्ती का नमूना रहे खरे,,फिर शिखा गर्ग ने पढ़ा,पल पिघलाते तन जीवन का बातों से मन पिघले,
पिघल गयी पूरी ही काया राख हुये हम निकले,
जगत ये दो दिन की बारात नहीं फिर मनभावन दिन रात पहचान संस्था के अध्यक्ष शफीकुर्रहमान कशफ़ी ने पढ़ा,तारीफ़ क्या बयाँ करूँ उस जांनिसार की , होती थीं जिससे बातें मुहब्ब्त ओ प्यार की,संचालन कर रहे गिरधर खरे ने अपने तमाम परिवारिक और सामाजिक संस्मरण याद करते हुए उन्हें काव्यात्मक श्रद्धांजली दी पढा, आना-जाना है, अवरोध है; मुझमें, तुझमें यही बोध है। क्या करें आप, हम क्या करें,
ज़िन्दगी का यही शोध है। अध्यक्षता कर रहे वरिष्टय साहित्यकार यज्ञदत्त ने अपने लंबे अनुभव साझा किए उन्होंने बताया कि ज्योति स्वरूप जी बहुत ही मिलनसार और सामाजिक व्यक्तित्व के धनी थे मेरा और उनका बहुत लंबा साथ रहा उन्होंने बताया जब मैंने जिले में पहला अखबार निकाला था तब वो हमारे साथ थे इस दौरान सिद्धार्थ त्रिपाठी हरिश्चंद्र त्रिपाठी सहित कई और लोगों ने काव्यपाठ किया इस दौरान नरसिंह दास गुप्ता मदन खरे संतोष श्रीवास्तव रमन खरे दीनदयाल सोनी प्रीति खरे आदि लोग मौजूद रहे।
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