तीर्थ स्थल पंचनद धाम पर लगने वाले पुरातत्व एवं ऐतिहासिक मेले पर लग सकता है ग्रहण
पंचनद धाम औरैया। प्रदेश और देश में ही नहीं बल्कि संपूर्ण विश्व में पवित्र पांच नदियों यमुना, चंबल, सिंध, पहूज और कुंवारी के पवित्र संगम पंचनंद धाम पर लगने वाले अति प्राचीन ऐतिहासिक एवं पौराणिक मेले प्रांगण में अवैध निर्माण कर किया जा रहा अतिक्रमण, मंदिर कमेटी और महंत शासन प्रशासन के लगा रहे हैं चक्कर लेकिन निर्माण कार्य निर्वाध रूप से है जारी है।
ज्ञात हो कि वर्तमान सरकार जहां राम मंदिर के साथ साथ हर धार्मिक पौराणिक और एतिहासिक सांस्कृतिक स्थल को विश्व मानचित्र पर लाकर सनातन धर्म का संरक्षण कर रही है वहीं संपूर्ण राष्ट्र के अति प्राचीन, ऐतिहासिक कार्तिक पूर्णमासी पर लगने वाले पुरातत्व और पौराणिक महत्व के पंचनद धाम महासंगम पर ऐतिहासिक मेले में प्रांगण में स्थानीय कंजौसा के लोग अवैध निर्माण कर मेले प्रांगण को खत्म कर इस परंपरा को ही खत्म करने पर तुले हुए हैं जबकि मंदिर के महंत सुमेर वन तथा मंदिर प्रबंध समिति इसके लिए शासन प्रशासन को विगत वर्षों में भी मिले में आने वाले व्यवधानों के लिए मिलकर इस सुचार रूप से चलाने में लगे रहे हैं, जिसके लिए मंदिर प्रबंध समित और महंत हमेशा से ही साशन और प्रशासन के सहयोग से मेला लगवाते रहे हैं लेकिन शासन ने आज तक इस गंभीर विषय के निराकरण हेतु कोई उचित कार्रवाई नहीं की जिसके चलते ग्राम कंजौसा के निवासी मंदिर प्रांगण के बाहर लगने वाले इस प्राचीन मेले प्रांगण को भी अवैध रूप से निर्माण कर कब्जा कर रहे हैं जिससे कि लगने वाले मेले पर ग्रहण लग सकता है जिसके प्रति सरकार और प्रशासन पूर्ण रूप से मौन है और आने वाला समय पंचनद धाम तीर्थ स्थल के लिए बहुत ही कलंकित रूप में आने वाला है क्योंकि मेले के लिए पर्याप्त जगह न होने के कारण इस परंपरा को खत्म होना पड़ेगा जहां पर देश-विदेश से प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालु आकर इस स्थान पर स्नान पर्व के साथ-साथ मेले के आनंद लेते हैं और लगभग हर समय यहां पर बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं की भी भीड़ लगी रहती है जो संपूर्ण विश्व में एकमात्र इकलौता पंचनद महासंगम तीर्थ स्थल है जहां से करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था जुड़ी होने के कारण विवाद भी हो सकता है जिसके प्रति लोगों में आक्रोश देखा जा रहा है।
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