चंद रुपयों के लिए बेजुबानों के निवाले का सौदा, फिर होगी गौवशों की अन्ना प्रथा

Apr 4, 2024 - 18:08
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चंद रुपयों के लिए बेजुबानों के निवाले का सौदा, फिर होगी गौवशों की अन्ना प्रथा

जिला संवाददाता

अमित गुप्ता

कदौरा/जालौन निजी स्वार्थ के चलते पालतू पशुओं के लिए किसान नहीं सोच रहा जो भूसा ठेकेदारों की चपेट में आकर भूसा बेचकर बाहर भिजवाया जा रहा है जिसमें क्षेत्र में आने वाले समय में भूसे का संकट व महंगाई होना लाजमी है जैसे बाद में किसान पालतू गोवंश अन्ना छोड़ देता है। वही गौशालाओं में पराली य बेकार भूसा खिलाया जाता है गौर तलब हो कि कदौरा ब्लाक क्षेत्र में अलग-अलग गांव में ठेकेदार व खुद किसान चना मटर मसूर व अन्य फसलों का भूसा खरीद स्टॉक कर कानपुर व अन्य जगह बचा जा रहा है प्रतिदिन से करो कुंतल भूसा ट्रैक व ट्रैक्टरों से ईंट भट्टों व स्टाक करने वाले व्यापारियों को बेचा जा रहा है। माना कि किसानों की उपज है वो कुछ भी करें लेकिन सोचने की बात यह है कि किसान अपना स्टॉक बेचकर फिर भूसा ना होने पर गोवंशों सहित अन्य पशुओं को अन्ना कर देते हैं जो किसी की फसल चरते हैं या अन्य नुकसान करते हैं साथ ही ग्राम पंचायत में प्रधानों को भी भूसा फिर नहीं मिलता है अगर मिल भी तो बहुत महंगे दाम होते हैं जिससे मजबूरन अन्ना गोवंशों को कही पराली तो कहीं और खिलाकर कम चलाया जाता हैप्रशासन से मांग है कि यदि उक्त भूषण स्टार्ट करने के बाद क्षेत्र से बाहर भेजने पर कोई अंकुश लगे तो क्षेत्र का भूसा क्षेत्र में ही रहे जिससे अन्ना प्रथा भी कम होगी और पशुओं को भी भूसा खाने में लेले नहीं पड़ेंगे वरिष्ठ किसान व भाजपा नेता धीरेंद्र सिंह सिंगर द्वारा कहा गया कि यही वजह होती है जब किसान द्वारा अपने पालतू पशुओं को अन्ना कर दिया जाता है क्यों उनका भूसा स्टॉक नहीं होता है जिससे मवेशी यहां वहां की फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं किसानों को कम से कम इतना भूसा तो स्टाक रखना ही चाहिए जिससे उनके पालतू पशुओं को भूसा मिलता रहे वहीं दूसरी वजह हार्वेस्टर से होने वाली कतराई भी है जहां किसानों द्वारा तुरंत फसल को कतरवा ली जाती है शेष अवशेष को भूसा बनाने वाले ठेकेदारों को भेज दिया जाता है जिस ठेकेदार भूसा को बाहर भूसा बनाकर बेचा जाता है

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