रामपुरा में पुलिस की अवैध गतिविधियों पर परिजन ने की शिकायत, एसपी ने दिये जांच के आदेश

Sep 3, 2024 - 19:13
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रामपुरा में पुलिस की अवैध गतिविधियों पर परिजन ने की शिकायत, एसपी ने दिये जांच के आदेश

अमित गुप्ता 

उरई जालौन 

रामपुरा जालौन रामपुरा की निवासी सुशीला, पत्नी अम्बरीश कुमार, ने पुलिस अधीक्षक डॉ. दुर्गेश कुमार को एक शिकायती पत्र सौंपा है जिसमें उन्होंने स्थानीय पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए हैं। सुशीला का आरोप है कि उनके परिवार के खिलाफ स्थानीय पुलिस ने मनमानी और अत्याचारपूर्ण कार्यवाही की है, जिसके चलते उनके परिवार को मानसिक और शारीरिक दोनों तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

सुशीला ने बताया कि मैने और मेरे पति ने न्यायालय में हरिजन एक्ट के अंतर्गत गवाही दी थी, जिससे एक प्रतिकूल प्रभाव पड़ा और स्थानीय निवासी शिवमोहन और उनके परिवार के अन्य सदस्यों ने रंजिश के चलते उनके खिलाफ मारपीट और लूटपाट की घटना को अंजाम दिया। घटना 25 मई 2024 की है, और सुशीला ने इस संबंध में पुलिस को सूचना दी थी और डॉक्टरी जांच के लिए जिला अस्पताल उरई गई थी। बावजूद इसके, पुलिस ने उनके खिलाफ झूठा मुकदमा (मुकदमा संख्या 68/24) दर्ज कर दिया।

सुशीला ने बताया कि पुलिस ने न केवल उनके खिलाफ झूठा मुकदमा दर्ज किया, बल्कि बार-बार उनके घर में घुसकर तंग भी किया। 14 अगस्त 2024, 17 अगस्त 2024, और 29 अगस्त 2024 को पुलिसकर्मी उनके घर में आए, जिसमें उन्होंने सीसीटीवी कैमरा हटाने के लिए दबाव डाला और उनकी बेटी को गालियां दी। पुलिस ने उनके घर में घुसकर उनकी बेटी को परेशान किया और उसे बुरी नजर से छूने का प्रयास किया। जब पुलिस ने सीसीटीवी कैमरे की मौजूदगी देखी, तो उन्होंने गालियां दी और कैमरा हटाने की धमकी दी।

पुलिसकर्मियों द्वारा सीसीटीवी फुटेज में दर्ज अपराधों को देखते हुए, सुशीला के पति ने इन फुटेज को रामपुरा थाने में जमा कर दिया था। फिर भी, पुलिस ने कैमरे को हटाने की धमकी दी और फर्जी मुकदमे के लिए भी धमकाया। सुशीला का कहना है कि थाना रामपुरा की पुलिस उनके परिवार के खिलाफ साठ-गांठ कर रही है और उनके परिवार को गंभीर नुकसान पहुंचा सकती है।

सुशीला की शिकायत पर पुलिस अधीक्षक डॉ. दुर्गेश कुमार ने मामले की गंभीरता को देखते हुए सीओ माधौगढ़ को जांच का आदेश दिया है। एसपी ने स्पष्ट किया है कि जांच में यदि किसी पुलिसकर्मी की दोषी पाया जाता है, तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

यह मामला स्थानीय पुलिस के द्वारा किए गए अनुशासनहीनता और उत्पीड़न का गंभीर उदाहरण प्रस्तुत करता है। सुशीला की शिकायत और पुलिस अधीक्षक की ओर से जांच के आदेश से यह स्पष्ट होता है कि प्रशासनिक अधिकारी इस गंभीर मुद्दे पर उचित कार्रवाई के लिए प्रतिबद्ध हैं। अब देखने की बात होगी कि जांच के परिणाम क्या होते हैं और दोषियों को किस प्रकार से सजा मिलती है।

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