संपादकीय - क्या बुंदेलखंड पृथक राज्य की चिंगारी उत्तर प्रदेश सदन में जलेगी ?

Feb 23, 2025 - 07:21
 0  190
संपादकीय - क्या बुंदेलखंड पृथक राज्य की चिंगारी उत्तर प्रदेश सदन में जलेगी ?

 उरई ,जालौन । बुंदेलखंड पृथक राज्य के आंदोलन की तपन अब उत्तर प्रदेश विधानसभा के सदस्य विधायकों को भी महसूस होने लगी है और वह भी इस विषय पर चर्चा करने के लिए एक छत के नीचे बैठने को तैयार दिख रहे हैं।

 उत्तर प्रदेश मध्य प्रदेश के बीच फैले विशाल भूभाग बुंदेलखंड के पृथक राज्य की पुनर्स्थापना को लेकर चल रहे आंदोलन एवं उसे लगातार मिल रहे जन समर्थन से उत्तर प्रदेश के हिस्से वाले बुंदेलखंड कहे जाने वाले भूभाग के विधायकों को भी अब आंदोलन से उठने वाली चिंगारी की तपन महसूस होने लगी है और वह भी इस विषय पर आपस में चर्चा करने के लिए औपचारिक रूप से एक छत के नीचे बैठकर भविष्य की रणनीति पर चर्चा कर करने लगे हैं। ज्ञात होगी देश की आजादी 15 अगस्त 1947 के उपरांत भारत की संविधान सभा ने 12 मई 1948 को बुंदेलखंड राज्य का गठन कर कामता प्रसाद सक्सेना को बुंदेलखंड के प्रथम मुख्यमंत्री के रूप में कमान सौंपी । आजाद भारत में बुंदेलखंड राज्य का अस्तित्व 8 साल 7 माह तक बना रहा लेकिन जहरीली राजनीति ने बुंदेलखंड के हितों पर ऐसा कुठाराघात किया कि विकास की अनगिनत संभावनाओं से युक्त यह प्रदेश दो टुकड़ों में विभक्त होकर उत्तर प्रदेश का मध्य प्रदेश राज्यों में विलय हो गया जिससे कारण खनिज एवं वन संपदा से धनी यह भूभाग पिछड़ेपन की अंतिम सीमा तक पहुंचकर देश के अन्य हिस्सों में हेय दृष्टि से देखा जाने लगा । लेकिन वीरों को जन्म देने वाली यह धरा आखिर कब तक अपने साथ हो रहे पक्षपात को बर्दाश्त करती, अंतोगत्वा यहां की हवा और पानी ने बुंदेली वीरों को प्रेरणा देकर पृथक बुंदेलखंड राज्य के आंदोलन को प्रेरित किया परिणाम स्वरूप अलग-अलग संगठनों द्वारा बुंदेलखंड के अस्तित्व को पुनर्स्थापना हेतु छोटे-बड़े अनेक गांव व शहरों से लेकर लखनऊ दिल्ली तक हंगामा खड़ा किया गया पृथक बुंदेलखंड राज्य के लिए हो रहे यह खंड-खंड आंदोलन भले ही सियासी गलियारों में हंगामा खड़ा नहीं कर पाए हों लेकिन इसे नकारा नहीं जा सकता कि इन छोटे आंदोलन ने अपने वजूद के लिए हो रहे संघर्ष की चिंगारी को बुझने नहीं दिया। वर्तमान में बॉलीवुड के प्रसिद्ध कलाकार एवं बुंदेलखंड विकास बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष राजा बुंदेला ने पृथक बुंदेलखंड राज्य की स्थापना के लिए गांव-गांव ,पांव पांव आंदोलन से राख में दबी इस चिंगारी को जो हवा दी और उन्हें जो जनसमर्थन मिला उससे उत्तर प्रदेश के हिस्से वाले बुंदेलखंड के 19 विधायकों को सोचने के लिए मजबूर होना पड़ा, परिणाम स्वरूप उप्र की राजधानी लखनऊ में एक छत के नीचे 19 विधायकों के सापेक्ष प्रथम चरण में सात विधायकों ने इस बुंदेलखंड पृथक राज्य के लिए चल रहे आंदोलन को मिल रहे जन समर्थन पर चर्चा कर भविष्य में अपनी भूमिका पर विचार किया । देखने लायक यह होगा कि पृथक बुंदेलखंड को समर्थन देने न देने के लिए यह सात विधायकों की संख्या जन भावनाओं का सम्मान करते हुए 17 या 19 में परिवर्तित होगी अथवा अपने राजनीतिक आकाओं की वक्र दृष्टि से भयभीत हो यह सात की संख्या न्यूनतम स्तर तक पहुंच जाएगी।

किन-किन विधायकों ने बैठक में लिया हिस्सा

बुन्देलखण्ड प्रथक राज्य के मुद्दे पर विधायक गण इकट्ठा तो हुये लेकिन दलीय प्रतिबद्धतायें आड़े आ रही है। इतना ही नही भाजपा के ही पूरे विधायक भी एक मंच पर इकट्ठा न हो पाये ।भाजपा से बाँदा के प्रकाश द्विवेदी ,हमीरपुर के मनोज प्रजापति, राठ की मनीषा अनुरागी ,बवीना के राजीव पारीछा सरीखे विधायक इस वैठक में नजर नही आये। जवकि झाँसी से भाजपा के रवि शर्मा जवाहर राजपूत ,ललितपुर से रामरतन कुशवाहा ,चरखारी से वृजभूषण राजपूत गुड्डू , महोवा से राकेश गोस्वामी माधौगढ से मूलचन्द्र निरंजन और सपा के वागी कालपी विधायक विनोद चतुर्वेदी समेत 19 विधायको में महज सात विधायको की मौजूदगी खास रही ।

बुन्देलखण्ड राज्य निर्माण को लेकर प्रदेश सरकार के वजट सत्र के दौरान इस वैठक को खासा अहम माना जा रहा है । संकेत मिले है कि अब यह मुहिम और तेज होगी ।अभी फिलहाल मंथन यह भी चल रहा है कि राज्य गठन के मुद्दे पर दलीय निष्ठाओ से हटकर इसमे सपा के भी विधायक शामिल हो ताकि बुन्देलखण्ड राज्य निर्माण अभियान को और तेज गति मिल सके ।

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow