सेंट्रल पीवेट ड्रिप इरीगेशन सिस्टम मॉडल पूरे उत्तर प्रदेश के लिए बनेगा नज़ीर - मनोज कुमार सिंह

उरई, जालौन। उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह और उद्यान राज्य मंत्री दिनेश प्रताप सिंह ने शनिवार को जालौन जनपद के डकोर ब्लॉक के ग्राम रगौली का दौरा किया। दोनों अधिकारी हेलीकॉप्टर से लखनऊ से उरई पहुंचे, जहां से वे सीधे रगौली गांव गए और वहां 80 लाख 89 हजार रुपये की लागत से स्थापित सेंट्रल पीवेट ड्रिप इरीगेशन सिस्टम का निरीक्षण किया।
इस प्रणाली का उद्देश्य कम जल संसाधनों में अधिक क्षेत्रफल की सिंचाई करना है। निरीक्षण के दौरान अधिकारियों ने इस तकनीक को प्रदेश के लिए एक आदर्श मॉडल बताते हुए कहा कि इसकी सफलता से प्रेरित होकर इसे अन्य जनपदों में भी लागू किया जा सकता है।
रगौली में स्थापित यह प्रणाली भारत की पहली पीवेट ड्रिप इरीगेशन यूनिट है, जो किसानों के खेतों पर उनके ही सहयोग से संचालित की जा रही है। यह सिस्टम एक बार में लगभग 75 एकड़ भूमि की सिंचाई करने में सक्षम है और इसमें जल स्रोत के रूप में 7 लाख क्यूबिक मीटर क्षमता वाला तालाब तैयार किया गया है। इस प्रणाली से लगभग 26 किसान सीधे लाभान्वित हो रहे हैं।
तकनीकी विशेषज्ञों के अनुसार, यह प्रणाली पारंपरिक सिंचाई विधियों की तुलना में लगभग 55% जल की बचत करती है। इससे जल संकट वाले क्षेत्रों में खेती को स्थिर और लाभकारी बनाया जा सकता है। साथ ही यह प्रणाली फसलों की गुणवत्ता बढ़ाने, बीज उत्पादन को सशक्त करने और किसानों की आमदनी में वृद्धि के लिए कारगर मानी जा रही है।
"रगौली मॉडल" – स्मार्ट सिंचाई का नया रास्ता: मुख्य सचिव ने इस प्रणाली को "रगौली मॉडल" का नाम देते हुए कहा कि यह परियोजना न केवल तकनीकी रूप से उन्नत है, बल्कि जल संरक्षण और कृषि उत्पादन बढ़ाने की दिशा में एक स्थायी समाधान भी है। उन्होंने कहा कि यह मॉडल उन क्षेत्रों के लिए विशेष रूप से उपयोगी सिद्ध हो सकता है जहां बारिश कम होती है या जलस्तर गिरता जा रहा है।
राज्यमंत्री दिनेश प्रताप सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देशानुसार राज्य सरकार किसानों की आय दोगुनी करने के लिए तकनीकी नवाचारों को बढ़ावा दे रही है। रगौली में शुरू हुई यह परियोजना इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण और प्रेरक कदम है।
*प्रगति किसान सहकारी समिति का गठन – संचालन में किसानों की भागीदारी:* इस प्रणाली के संचालन एवं प्रबंधन हेतु लाभान्वित किसानों की एक समिति "प्रगति किसान सहकारी समिति" का गठन किया गया है। यह समिति न केवल इस सिंचाई प्रणाली के रोजमर्रा के संचालन को सुनिश्चित करेगी, बल्कि किसानों को एक जैसी फसलें लगाने के लिए प्रेरित करेगी, जिससे सामूहिक रूप से उत्पादन, विपणन और लाभ को बेहतर बनाया जा सके। इसके अलावा, यह समिति उत्पादित फसलों के फॉरवर्ड लिंकेज, जैसे प्रसंस्करण, विपणन, भंडारण और निर्यात के लिए भी कार्य करेगी, जिससे किसानों को अपने उत्पाद का बेहतर मूल्य मिल सके और उन्हें स्थायी आर्थिक लाभ प्राप्त हो।
स्थानीय प्रशासन और परमार्थ समाजसेवी संस्थान की सक्रिय भागीदारी
यह परियोजना उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग के निर्देशन और परमार्थ समाजसेवी संस्थान के सहयोग से लागू की गई है। निरीक्षण के दौरान जिलाधिकारी राजेश कुमार पांडेय, सीडीओ राजेंद्र कुमार श्रीवास, जिला उद्यान अधिकारी डॉ प्रशांत सिंह, परमार्थ संस्था के सचिव संजय सिंह, 2030WRG – विश्व बैंक से अजीत राधाकृष्णन एवं डॉ योगेश बंधू, प्रगति किसान सहकारी समिति के नामित प्रतिनिधि परमार्थ संस्था से वरुण सिंह व अन्य अधिकारी उपस्थित रहे। अधिकारियों ने बताया कि इस मॉडल को देखने के लिए अन्य जनपदों से भी टीमें भेजी जाएंगी, ताकि इस प्रणाली का विस्तार पूरे प्रदेश में किया जा सके।
ग्राम रगौली में स्थापित यह उन्नत सिंचाई प्रणाली न केवल एक तकनीकी प्रयोग है, बल्कि यह उत्तर प्रदेश में जल प्रबंधन, किसानों की आय वृद्धि और स्मार्ट कृषि का भविष्य गढ़ने वाली योजना बनती जा रही है। यह मॉडल यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि जब तकनीक, प्रशासन, सामाजिक संगठन और किसान एक साथ मिलकर कार्य करते हैं, तो ग्रामीण भारत को आत्मनिर्भर और समृद्ध बनाया जा सकता है।
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