यमुना माई पुकार रही - जनप्रतिनिधियों, गणमान्य नागरिक, बुद्धिजीवी पत्रकार आगे आये

अमित गुप्ता
कालपी जालौन
कालपी/जालौन कालपी देव की कालपी - बसे ना उजर होये।।की कहावत वर्तमान समय में चरितार्थ साबित हो रही है। जनपदीय बार्डर कानपुर देहात में यमुना नदी में नियम विरुद्ध वालू खनन होने से धर्म नगरी कालपी के प्राचीन घाटों से जल धारा बहुत दूर पहुंच गयी है। फलस्वरूप यमुना के बेरौनक हो जाने पर नगर वासियों ने चिंता जताई है।कालपी विकास मंच के संयोजक समाजसेवी अशोक बाजपेई ने धर्म नगरी कालपी में यमुना नदी का सुन्दर स्वरूप लाने की जन सहयोग से पहल बढ़ाई है।
समाजसेवी अशोक ने बताया कि धर्म नगरी तथा एतिहासिक कालपी नगर की एक पहचान यमुना नदी के कारण भी थी। यमुना नदी कालपी वासियों के शान का कारण भी थी।हम सभी को गर्भ था कि पाप को हरने वाली कालपी नदी हमारे नगर कालपी में बह रही है।
उन्होंने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इस मशीनरी तथा वेज्ञानिक युग में प्रकृति से खिलवाड़ करने पर आज यमुना मैया प्राचीन घाटों को पूरी तरह छोड़ चुकी है। धर्म नगरी कालपी में वैसे तो यमुना नदी के किनारे कई प्राचीन घाट है। पर इनमें किलाघाट प्रमुख हैं।जिसकी सुन्दरता आज भी मन को मोह लेती है।लेकिन अब पानी की धारा दूर दूर तक नजर आती है। जिसका मुख्य कारण नदी के उस पार हो रहा वालू खनन का नियम विरुद्ध कार्य है। उन्होंने बताया कि आज प्रदेश में डबल इंजन की सरकार चल रही है।पर इसको रोकने में असफल है। समाजसेवी बाजपेई ने कहा कि नगर के सभी सामाजिक संगठन, राजनीतिक दल, जनप्रतिनिधि तथा पत्रकार बंधु समेत हम सभी लोग एक ही मांग जनपद के जिला प्रशासन से करें कि कालपी साइड में इस पार यमुना नदी की सफाई कराई जाये। जो भी मिट्टी या मौरम हो उसे साफ कराया जाये। जिससे सरकार को राज्स्व का लाभ भी होगा तथा कालपी में पुनः जल की धारा बह सकेगी। उन्होंने क्षेत्रीय
विधायक, पालिकाध्यक्ष, सांसद सहित सभी जनप्रतिनिधियों से नगर वासियों से अपेक्षा की है कि उचित अधिकारियों से मांग कर यमुना नदी की सफाई कराई जाये।जिससे फिर से एतिहासिक नगरी कालपी को अपना गोरवशाली स्थान प्राप्त हो सके ।
जो भी इस कार्य में सहयोग करेगा,नगर की जनता उसकी ऋणी रहेगी।
फोटो - यमुना नदी कालपी के तटवर्ती इलाके की दशा
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