गुरु पूर्णिमा के उपलक्ष्य में बबीना में अलग-अलग देवस्थलों में पूजा अर्चना के साथ हुआ भंडारे का आयोजन
अमित गुप्ता
संवाददाता
कदौरा /जालौन कदौरा क्षेत्र के ग्राम बबीना में अन्नपूर्णा मंदिर में प्रति वर्ष की भांति मां अन्नपूर्णा मंदिर में श्रद्धालुओं ने अनाज प्रसाद चढ़ाकर माथा टेका बबीना क्षेत्र में इकलौता अन्नपूर्णा मंदिर होने की वजह से आसपास के गांव से भक्त आते हैं जो मां अन्नपूर्णा के दर्शन कर माता रानी से भंडार भरे रहने की मनोकामना करते हैं बबीना में हर वर्ष मां अन्नपूर्णा मंदिर में मेला लगता है और भंडारा भी होता है सभी क्षेत्रवासी ज्यादा से ज्यादा संख्या में पहुंचकर माता रानी के दर्शन करते हैं एवं भंडारे का प्रसाद ग्रहण करते हैं एवं मेले का भी लुफ्त उठाते हैं साथ ही साथ मेले में खरीदारी करते हैं अन्नपूर्णा मंदिर में समस्त ग्राम वासियों के सहयोग से गुरु पूर्णिमा का पर्व बड़े ही हर्ष के साथ मनाया जाता है सुबह से ही अन्नपूर्णा के मंदिर में पूजा अर्चना का कार्य शुरू हो जाता है सभी गांव के एवं आस पास के गांव से आए हुए भक्त भंडारे का प्रसाद ग्रहण करते हैं ग्रामवासी उमाकांत दुबे गौरव उपाध्याय पूर्व प्रधान लालमन यादव लव कुश द्विवेदी पवन दुबे बाबू सिंह यादव कालीचरण कुशवाहा सत्येंद्र सिंह भारत यादव लल्ला प्रजापति देवेंद्र शिवदास रविंद्र यादव तुलसीराम एवं समस्त ग्राम वासियों के सहयोग से भंडारा संपन्न हुआ
बाल्मीकि मंदिर में भंडारे का आयोजन हुआ
बबीना में गुरु पूर्णिमा के उपलक्ष में महर्षि वाल्मीकि मंदिर में गुरु स्वर्गीय श्री 1008 दंडी स्वामी हंस आनंद सरस्वती महाराज जी के शिष्य सुरेश सिंह राजावत उर्फ बाबूजी द्वारा बाल्मीकि मंदिर बबीना में भंडारे का आयोजन करवाया गया बाल्मिक मंदिर में सुबह से ही पूजा अर्चना के साथ भंडारा चलता रहा समस्त ग्राम वासियों ने बाल्मीकि मंदिर पहुंचकर प्रसाद ग्रहण किया सुरेश सिंह राजावत और बाबूजी झलोखर में इंटर कॉलेज में शिक्षक के पद पर सेवानिवृत्त रहे हैं और इनका अखाड़ा भी जलकर में चलता है सुरेश सिंह पहलवान के शिष्य राजकुमार पहलवान ने बताया कि गुरु पूर्णिमा के उपलक्ष्य में गुरु जी ने अपने निज गांव बबीना में बाल्मिक मंदिर में भंडारे का आयोजन करवाया है सुरेश सिंह राजावत के भतीजे आकाश राजावत ने बताया कि गुरु की भूमिका मनुष्य के जीवन में बहुत ही महत्व रखती है शास्त्रों में भी मनुष्य की जिंदगी में गुरु का स्थान ही सर्वप्रथम माना गया है
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