रोक के बावजूद भी जारी है मछलियों का शिकार जिम्मेदार नदारद
अमित गुप्ता
संवाददाता
कालपी जालौन कालपी 15 जून से लेकर 15 अगस्त तक मछलियों का शिकार पर पूरी तरह से प्रतिबंधित रहता है इस अवधि में मत्स्य विभाग मछलियों के शिकार और परिवहन पर पैनी नजर रखता है !पर यह मात्र सरकारी आदेश ही साबित हो रहा है यमुना और नून नदी सहित अन्य नदियों में शिकार निरंतर जारी है इसके जिम्मेदार मौन और नदारत हैं आखिर इसका क्या कारण है यह जांच का विषय है !
आपको बताते चलें कि उक्त कानून देश की आजादी के पहले से ही लागू है पर इसका पालन नहीं हो रहा है !सरकारी आदेशानुशार वारिश का सीजन मछलियों की वंश वृद्धि (प्रजनन)का सबसे ज्यादा बेहतर समय होता है !इस दौरान उन्हें संरक्षण देने की जरूरत होती है!इसे देखते हुए प्रदेश के सभी प्रकार के जल संसाधनों व नदियों तथा जलाशयों में शिकार व परिवहन पर पूरी तरह से फ्रभावी रोक रहती है। इस कानून का उल्लंघन करने वाले व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई का प्रावधान है !अगले दो महिने के दौरान किसी भी तरह से मछली का शिकार य उसका परिवहन करते हुए कोई पकड़ गया तो उसे जेल की हवा खानी पड़ेगी !किसी तरह इससे बच भी गये तो जुर्माने की वसूली तय है!उक्त समय सीमा परक्षमछली के शिकार य बिक्री के लिए मछली ले जाते पकड़े जाने पर 1984की धारा 3 के तहत सनज्ञेय अपराध माना जाएगा जिसके लिये मत्सयोद्योग अधिनियम 1972 की धारा ,3, एवं उपधारा 2 के तहत कठोर कार्यवाही की जा सकती है !
वर्तमान समय में देखा जा रहा है कि बारिश शुरू होने पर क्षेत्र में नदी नालों तालाबों तटीय घाटों में मछुआरे मछली पकड़ कर इन्हें व्यापारियों को कम दामों में बेंच देते हैं !पिछले काफी समय से पुलिश द्वारा भी इस पर रोक लगाने के लिये एक भी कार्यवाही नहीं की गई जबकि मछलियों का शिकार प्रतिदिन हो रहा है!
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