बुन्देलखण्ड की अनूठी परम्परा दिवारी नृत्य

ढोलक की थाप, घूंघरू की झंकार, लाठी की चटकार आज भी है दीवारी नृत्य में
कोंच (जालौन) दीपावली का त्यौहार पूरे देश मे बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है और हर जगह अपने ही अंदाज में त्यौहार मनाये जाने की परंपरा है वहीं अपनी लोक संस्कृति के लिए विख्यात बुन्देलखण्ड में दिवाली के नृत्य की धूम देखने को मिल रही है जिसमें दिवारी नृत्य करने वाले लाल पीले बस्त्र पहनते हैं और आपस मे लाठियां भांजते हुए ढोल नगाड़ों की थाप पर नाचते हैं इस नृत्य को मोनिया नृत्य भी कहते हैं मान्यता है कि इसे गोवर्धन पर्वत उठाने के बाद भगवान श्री कृष्ण की भक्ती में प्रगति पूजन परम्परा के तौर पर मनाया जाता है जिसमे दिवारी नृत्य करने वाली टोली गाव गांव जाकर नृत्य करती है यह व्रत पूरी तरह कृष्ण भक्ति को समर्पित है जिसमें प्रकति और गौवंश के प्रति संरक्षण का नाम दिया जाता है और टोलियां मोनिया नृत्य करते हुए साज बाज और पारम्परिक गीतों की धुन पर नाचते हुए निकलते है टोली मे नन्दू चिकबा अरविंद कुशवाहा ढोलक मास्टर चंद्रभान धर्मेन्द्र भवानी शंकर हरगोविंद आकाश यश मुन्ना लड्डू कृष्ण भगवान के उपासक हैं प्रहलाद गजेंद्र वृजेश किशोर आकाश योगेश काजू सभी निवासीगण भगत सिंह नगर हैं यह लोग करीब 10 वर्षों से ये कार्य करते आ रहे हैं और यह दीवाली नृत्य पूरे नगर में किया जाता है औऱ इसी परम्परा को निभाते हुए नृत्य कर लोगों का मन मोह लिया।
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