चावल माफिया बेखौफ़,लेकिन प्रशासन दिख रहा लाचार
अमित गुप्ता
संवाददाता
कालपी जालौन प्रधानमंत्री अन्न योजना और प्रदेश सरकार की तरफ से माह में दो बार गरीबों को प्रति यूनिट दो किलो चावल और तीन किलो गेंहू मुफ्त दिया जा रहा है जिसमें कोटेदार प्रति राशन दो किलो चावल कम देता है जिसे नगर में सक्रिय दो चावल माफिया सस्ते दामों में खरीदकर स्टाक कर लेते हैं और लोडर में भरकर कुरकुरे बनाने वाली फैक्ट्रियों को ऊंचे दामों में बेंच कर माला माल हो रहे है!और भाजपा सरकार के चुस्त दुरूस्त प्रशासन को चुनौती दे रहे हैं!
आपको सत्यत्ता से रूबरू करा दें गांव से लेकर नगर तक के सरकारी कोटेदार कि दो किलो चावल प्रति राशन कम देना अपना जन्म सिद्ध अधिकार मानते है ! ऐसा नहीं है कि गरीबों का निवाला छीनने वाले इन कोटेदारों की आम जनता द्वारा शिकायत न की जाती हो मीडिया में भी अक्सर ये खबरें प्रकासित होती रहती है पर ताज्जूब की बात है कि इन पर आज तक कोई कार्यवाही न होना दर्शाता है कि इसमें जिम्मेदार सरकारी अधिकारियों की मोन स्वीकृति है इस मोन स्वीकृति का कारण क्या है और इस सहमति में जिम्मेदारों का क्या लाभ है यह लिखने की आवश्यक्ता नहीं समझता आप खुद समझ सकते हैं!
ताज्जुब इस बात काम भी है कि यह खरीद फरोक्त बगैर किसी डर भय के खुलेआम हो रही है यहां तक कि गल्ला मण्डी में भी एक चावल माफिया स्टाक कर रहा है वहीं बाजार में भी एक फड़हा इस काले धंधे में सामिल है इसकी जानकारी सप्लाई इंस्पेक्टर से लेकर मंडी सचिव और पुलिस तक को है पर इन पर लगाम नहीं लग रही है इसका कारण समझ से परे है!
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