विकास के नाम पर विनाश की आग में झोंका ग्राम राठौरनपुरा

अमित गुप्ता
संवाददाता
रामपुरा जालौन सड़क मार्ग से विकास की गंगा बहाने के सपने देखने वाले जनप्रतिनिधियों एवं लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों की अदूरदर्शी निति ने सदियों पुराने गांव को विनाश की आग में झोंककर नष्ट करने का उपक्रम कर दिया है। विकासखंड रामपुरा अंतर्गत नदिया पार के अंतिम गांव राठौरनपुरा में अंतर्प्रान्तीय सड़क का निर्माण कर विकास के नाम पर विनाश की इबारत लिख दी गई है । ज्ञात हो कि ग्राम विकासखंड रामपुरा में नदियापार मध्य प्रदेश की सीमा से सटा हुआ ग्राम राठौरनपुरा अंतिम गांव है। ग्रामीणों के अनुसार यह गांव लगभग 500 वर्ष पुराना है , गत कुछ बर्षो तक प्रत्येक प्रकार की सुविधा से वंचित यह गांव अन्य गांव की तुलना में विकास के नाम पर शून्य रहा । लगभग 25 वर्ष पहले इस ग्रामीण क्षेत्र को विकासखंड मुख्यालय से सडक मार्ग द्वारा जोड़ने की दृष्टि से पूर्व विधायक संतराम सिंह सेंगर के प्रयास से रामपुरा से राठौरनपुरा तक सड़क मार्ग का निर्माण कराया गया इसी मार्ग के अंतिम शिरे पर जिला भिंड (मध्य प्रदेश) लोक निर्माण विभाग द्वारा अंतर्प्रान्तीय सीमा तक सड़क बनाकर उप्र. के इस ग्रामीण क्षेत्र को मछंड मिहोना से जोडने का सार्थक प्रयास किया गया , इसी सड़क के माध्यम से ग्रामीण अपने निकट के बाजार मिहोना तक का सफर करके दैनिक जरूरत के सामान की पूर्ति करते रहे हैं । इस समस्या को माधौगढ़ विधानसभा क्षेत्र के वर्तमान विधायक मूलचंद सिंह निरंजन ने देखा और उन्ही के प्रयास से ग्राम कूसेपुरा के निकट से नरोल होते हुए राठौरनपुरा गांव के अंदर से सड़क का चौड़ीकरण करवा कर डामर वाली व सीसी सड़क का निर्माण कराया गया है । विधायक श्री निरंजन का यह प्रयास अत्यधिक लोककल्याणकारी माना गया किंतु इस सड़क के निर्माण में जिस प्रकार अनियोजित विकास का स्वरूप देखने को मिला है उससे विकास की योजना बनाने वाले जनप्रतिनिधियों की पवित्र मंशा में पलीता लगाते हुए सड़क निर्माण के लिए उत्तरदाई लोक निर्माण विभाग उरई के अधिकारियों का गैर जिम्मेदाराना अंदाज व सड़क निर्माण में लगे ठेकेदार व कर्मचारियों श्रमिकों की हठधर्मिता स्पष्ट दिखाई देती हैं जो इस प्राचीन गांव को बर्वाद कर देगी। ग्राम राठौरनपुरा जो संभावित 500 वर्ष पुराना गांव है इसमें ग्रामीण तरीके की गलियों व रास्तों में दोनों तरफ नए पुराने लगभग एक सौ मकान बने हैं विकासरूपी सड़क का निर्माण गांव की बीच से गुजरते हुए होना था वह हुआ भी जिसमें अनेक ग्रामीणों के वह मकान धराशाही कर दिए गए जो बेचारों ने पाई पाई जोड़ कर बमुश्किल निर्मित करवा पाए थे । सड़क का निर्माण स्टीमेट के अनुसार रास्ते में मिट्टी का भराव करवाकर लगभग डेढ़ फुट कंक्रीट से ऊंचाई कर किया गया है जो एस्टीमेट के अनुसार इसी प्रकार होना चाहिए था लेकिन इस गांव के घरों के परनाले का पानी कहां जाएगा यह सड़क निर्माणकर्ताओं ने नहीं सोचा परिणाम स्वरूप ग्रामीणों के घरों के दैनिक उपयोग का पानी सड़क के किनारे उन्हीं के दरवाजों पर हिलोरे ले रहा हैं। गांव के प्राचीन कुओं में परनालों का गंदा पानी विभिन्न स्रोतों से पेयजल में मिश्रित हो उसे प्रदूषित कर रहा है। हैंडपंप चारों ओर गंदे कीचड़ युक्त बजबजाते पानी से घिरे अथवा डूबे हैं । नव निर्मित सीसी रोड के किनारे व गलियों में दुर्गंध युक्त पानी रास्तों को अवरुद्ध दिए हुए हैं । बच्चे बूढ़े जवान इसी गंदे पानी में पैर डालकर निकलने को मजबूर हो रहे हैं ।
उक्त संदर्भ में ग्रामवासी सतीश चंद्र पचोरी , शत्रुघन सिंह राठौर, देवेंद्र सिंह, हवलदार सिंह , उदय सिंह ,मुन्ना सिंह राठौर , राघवेंद्र सिंह आदि ने वर्तमान स्थिति पर आक्रोश व्यक्त करते हुए आगामी वर्षा काल में जलभराव से उत्पन्न होने वाली स्थिति पर चिंतातुर होकर कहा की वर्षा ऋतु का पानी का निकास ना हो पाने के कारण प्रत्येक घर में 2 से 3 फुट की ऊंचाई तक पानी भर जाएगा जिससे घरों में रखा सामान तो नष्ट होगा ही साथ इस विकास के बाद बचे खुचे घर भी धराशाही हो जाएंगे । इस संदर्भ में स्थानीय विधायक मूलचंद सिंह निरंजन से ग्रामीणों ने अपेक्षा की है कि खंड विकास अधिकारी अथवा लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता के माध्यम से गांव के जल निकासी हेतु अविलंब नाला का निर्माण कराया जाए एवं जिन लोगों के घर विकास कार्य की भेंट चढ़ गए हैं उन्हें आवास उपलब्ध करा कर छत मुहैया कराई जाए।
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