मां शैलपुत्री के पूजन के साथ ही प्रारम्भ हुआ शारदीय नवरात्रि महापर्व

संवाददाता
अमित गुप्ता
कालपी/जालौन पावन पवित्र धार्मिक नगर कालपी धाम में मां शैलपुत्री के पूजन अर्चन के साथ ही प्रारम्भ हुआ शारदीय नवरात्रि महावृत पर तमाम देवी मन्दिरों में प्रात:काल बृम्ह मुहूर्त से ही मां के भक्तों की लम्बी लम्बी लाइन लग गई हाथों में गंगाजल का लोटा पूजन की थाली लिए माताओं बहनों में मा दुर्गा के स्वागत के लिये आतुर्ता देखी गयी !
शारदीय नवरात्रि के प्रथम दिन घट स्थापना के बाद मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप शैलपुत्री का पूजन और स्तवन किया गया! शैलपुत्री का अर्थ है हिमालय और पर्वतराज हिमालय के यहां जन्म लेने के कारण इन्हें शैलपुत्री कहा जाता है ! पार्वती के रूप में इन्हें भगवान शंकर की पत्नी के रूप में भी जाना जाता है ! वृषभ(बैल) इनका वाहन होने के कारण भृषभारूणा के नाम से भी जाना जाता है !इनके जायें हाथ में त्रिशूल है और बायें हाथ में इन्होंने कमल धारण किया हुआ है!
मनोवांक्षित लाभ के लिये अपने मस्तक पर अर्धचंद्र धारण करने वाली वृष पर सवार रहने वाली शूलधारणी और यशस्वनी मां शैलपुत्री की वंदना करता हूं !
मां शैलपुत्री का ध्यान मंत्र है -
या देवी सर्वभूतेषु मां शैलपुत्री रुपेण संस्थिता !
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः! !
माता का निम्न मंत्र है --
ऊं ह्लीं श्री चामुण्डा सिंहवाहनी बीसहस्ती भगवती रत्नमण्डित सोनन माल!
उत्तरपथ में आप बठी ,हाथ सिद्ध वाचा ऋद्धि सिद्धि !
धनधान्य देहि दूहि कुरू कुरू स्वाहा !!
मां शैलपुत्री देवी कवच भी जानें जो इस प्रकार है ----
ओमकार में सिर: पातुमूलाधार निवासनी !
हींकार पातुललाटे बीजरूपा महेश्वरी !
श्रीकार: पातुबदने लज्जारूपा महेश्वरी !!
हूंकार: पातुह्रदये तारणी शक्ति स्व गलत !!
पट्कार;पातुसर्वागेसर्व सिद्धि फलपृदा !!
माता शैलपुत्री का स्त्रोत पाठ अवश्य करना चाहिए जो इस प्रकार है --
प्रथम दुर्गा त्वहिं भवसागर: तारणीम !
धन ऐश्वर्य दायनी शैलपुत्री प्रणामाभ्यम !!
त्रिलोजननी त्वहिं परमानंद प्रदीयमान !!
सोभाग्यरोग्य दायनी शैलपुत्री प्रणमाभ्यहम् !!
मां शैलपुत्री के चरणों में गोघृत अर्पित करने से भक्तों को अरोग्य और दीर्घ आया का आशीर्वाद मिलता है और उनका मन एवं शरीर दोनों ही निरोगी रहते हैं ! इसके साथ ही गौघृत का अखंड दीपक भी जलाना चाहिए !
माता शैलपुत्री के आशीर्वाद से विचारों में गम्भीरता आती है और हर तरह की बीमारी दूर होती है दीर्घ आयू का आशीर्वाद मिलता है !साधक में आत्म विश्वास की जागृति भी होती है !
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