बीडीओ की उदाशीनता के चलते पंचायत सचिवालय बने शोपीस, लोगों को नहीं मिल रहे दस्तावेज

जिला संवाददाता
अमित गुप्ता
कालपी( जालौन)
कालपी/जालौन विकास खंड महेवा के अंतर्गत आने वाले कई गांव में ग्रामीण ब्लॉक का चक्कर लगा लगा कर काफी परेशान हो गए हैं बताया जाता है कि ब्लॉक महेवा में 59 गांव आते हैं जिसकेलिए स्थाई एवं अस्थाई तौर पर पंचायत सचिवों को खोलने की व्यवस्था की गई है लेकिन इसके बाद भी सभी गांवों में सचिवालय बिना कोई काम के चल रहे हैं सचिवालय में केवल पंचायत सहायकों की तैनाती कर उन्हें कोई भी काम नहीं दिया जा रहा है lतो कहीं-कहीं पंचायत सहायक ऑफिस में बैठते कभी नजर नहीं आते हैं उनमें अधिकांश ताले जड़े रहते हैंlजिससे ग्रामीण ब्लॉक का चक्कर लगा लगा कर थक चुके हैं शाहजहा पुर चुर्खी अभेदेपूर खडगुई सिम्हारा सरेनी पाल कोड़ा किर्राही जरारा आदि गावो के लोगो ने बताया कि मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने के लिए कई महिने से ज्यादा हो गया है लेकिन अभी तक बना नहीं है । परिवार रजिस्टर की नकल निकलवानी है आय, जाति ,निवास हेतु परिवार रजिस्टर की नकल निकलवानी है लेकिन नहीं निकल रही है lसचिव से बात करते हैं तो रोज टाल देते हैं कल आएंगे दे देंगे लेकिन उनका इंतजार करते करते महिना बीत जाता है लेकिन परिवार रजिस्टर की नकल नहीं मिली। कई गावो में मृत्यु होने के 1 साल से ज्यादा हो गया है कोर्ट में तारीख चल रही है तथा किसी को तहसील में जमीन का दाखिल खारिज करवाने के लिए मृत्यु प्रमाण पत्र मांग रहे हैं पर महीनो के हिसाब से समय बीत जाने पर भी मृत्यु प्रमाण पत्र नहीं बने है। खाखरी तथा बीजापुर निवासी एक बृद्घ ने बताया कि वृद्धा पेंशन हेतु आवेदन करवाया था लेकिन ब्लॉक में फार्म जमा करने आते हैं तो ब्लॉक में अधिकारी गांव के पंचायत सहायक को फार्म देने को बोल देते हैं 7 महीने से ज्यादा समय बीत गया है लेकिन फार्म अभी तक जमा नहीं हुआ है वही मंगरोल निवासी कल्लू ने बताया कि उसकी पेंशन कट गई है ऊपर से वह अंधा है उसे दिखाई भी नही देता बो बराबर चक्कर लगा रहा है लेकिन उसकी पेंशन नही बन रही है। वैसे पूर्व में भी कई बार पंचायत शौचालयों की बदहाल अवस्था को लेकर खबरें प्रकाशित की गई परंतु फिर भी उन खबरों का संज्ञान नहीं लिया गया जिससे गांव के लोग आवश्यक कागजात पाने के लिए तरस रहे हैं l इससे पहले तत्कालीन बीडीओ खंड विकास अधिकारी अश्वनी कुमार सिंह ने समस्त पंचायत सहायकों को निर्देश दिए गए थे कि वह समय से आफिस में बैठकर लोगों को जरूरी कागजात उपलब्ध कराएं यदि कहीं की शिकायत आती है तो जांच कर कार्यवाही की जाएगी इसके बाद तत्कालीन बीडीओ विपिन कुमार के कार्यकाल में भी पंचायत कार्यालय खुले लेकिन उनके जाते ही पंचायत कार्यालयों में ताले लटक रहे है नए बीडीओ को लोगो की इस बिकट समस्या से कोई लेना देना नहीं है।
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