रमजान का वो मुक़द्दस महीना है कि जिसकी जुदाई में गमगीन होना भी सवाब है- इरशाद

कालपी/जालौन स्थानीय नगर के प्रमुख शिक्षण संस्थान मदरसा दारूल उलूम गौसिया मजीदिया के प्रबंधक हाफिज इरशाद अशरफी ने बताया मज़हबे इस्लाम में रमज़ान-उल-मुबारक के महीने की बड़ी फ़ज़ीलत और बरकतों, रहमतों का बयान किया गया है। उन्होंने कहा कि इस मुक़द्दस महीने के आने पर हर मुसलमान खुश नजर आता है और अल्लाह अपने बन्दों से फरमाता है कि इस महीने में मेरी राह पर एक रुपया खर्च करोगे तो उसके बदले में 70 का सवाब मिलता है। और जब ये महीना रुकसत जुदा होता है तो अल्लाह अपने बंदों पर उनसे खुश होकर उन्हें ईद जैसी खुशी अपनी रहमत से अता करता है।
हाफिज इरशाद के मुताबिक नबी-ए-करीम ने फरमाया कि रमजान जब मेरी उम्मत से जुदा होता है तो जमीन, आसमान, मलाइका सब रोते हैं तो हर उम्मती को रमजान की जुदाई में गमगीन होना चाहिए इसमें भी अल्लाह हमें सवाब अता करता है।उन्होंने कहा कि नमाज ईद-उल-फितर से पहले-पहले अपना और अपने घर वालों का फितरा अदा कर देना वाजिब है जिसकी कीमत इस बार 60 रूपए है। ईद की नमाज से पहले हर मुसलमान को इसे अदा करना जरूरी होता है। इसी तरह दारूल उलूम गौसिया मजीदिया के प्रिंसिपल मुफ़्ती तारिक़ बरकाती ने कहा कि इस मुबारक मौके पर आप की ये जिम्मेदारी है कि ये देखा जाए कि हमारे कोई रिश्तेदार, हमारा पड़ोसी, कोई भी यतीम, बेबा, बेसहारा ऐसा तो नहीं है जिसे मेरी मदद की जरूरत है पहले उनकी मदद करें और फिर दीनी मदारिस को भी देखें। ईद का त्योहार बड़े ही अमन शांति चैन से मनाएं और एक दूसरे से गले मिलकर मुबारकबाद पेश करें और ये दुआ करें कि मेरे मुल्क में जो लोग नफरत फैलाना चाहते हैं अल्लाह उनके मंसूबों को फेल करके मेरे वतन हिंदुस्तान में खुशहाली अमन चैन आता फरमाए। हाफ़िज़ वसीम ने कहा कि ईद जैसे मौके पर सभी बुराईयों को ख़त्म करके एक दूसरे से गले मिले।
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