ओलावृष्टि से हुई फसल नुकसान योजना का सरकारी कर्मचारी लगा रहें पतीला

Apr 13, 2024 - 19:26
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ओलावृष्टि से हुई फसल नुकसान योजना का सरकारी कर्मचारी लगा रहें पतीला

अमित गुप्ता

कालपी जालौन

कालपी जालौन। पिछले माह में उत्तर प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में हो रही बारिश और ओलावृष्टि की वजह से एक तरफ जहां तापमान में काफी गिरावट आ गई है. वहीं दूसरी तरफ इसका सीधा असर फसलों पर पड़ा है. तेज हवाओं के साथ हुई बारिश और ओलावृष्टि की वजह से गेहूं,सरसों की फसलों को काफी नुकसान पहुंचा है. फसलों की इस तबाही ने अन्नदाताओं के चेहरों पर शिकन ला दी है. उधर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रशासन को सख्त निर्देश देते हुए कहा है कि जिम्मेदार अधिकारी किसानों की नुकसान हुई फसल का जल्द से जल्द सर्वे कर शासन द्वारा नुकसान का आंकलन करने और मुआवजा देने की प्रक्रिया सुचारू रूप से अमल में लाए। 

लेकिन कालपी में ओलावृष्टि फसल नुकसान योजना का स्थानीय प्रशासन द्वारा जमकर मजाक बनाया जा रहा है। वही कुछ लेखपालो ने बिना मौके पर जाए हुए ही घर पर बैठकर ओला वृष्टि सर्व को अन्तिम रूप दे डाला। सूत्रों से पता चला है कि कुछ लेखपानो ने अपने चाहते कुछ नामचीन किसानों से मोटी रकम (सुविधा शुल्क) लेकर उन्हीं का नाम लिस्ट में भेज दिया है। जिन गरीब किसानों ने सुविधा शुल्क नहीं दिया उनका नाम लिस्ट से हटा दिया गया। जब गरीब किसानो का मुआवजा नहीं आया तो वह दफ्तरों के चक्कर काटने लगा। तब जिम्मेदार अधिकारी द्वारा उनको यह कह कर टाल दिया गया कि बजट नहीं है। इसी कारण उनका नाम भी लिस्ट में नहीं भेजा गया। ग्राम धमना के एक गरीब किसान ने अपनी दबी जुबान से बताया कि तहसील के एक जिम्मेदार कर्मचारियों ने मुआवजा दिलाने तथा ऑनलाइन करने के बदले कुछ पैसे की डिमांड की थी। जो गरीब किसान धन के अभाव से वह दे नहीं सका इसलिए उसका नाम लिस्ट से हटा दिया गया। जिम्मेदार अधिकारियों ने कुछ चाहते नामचीन किसानों को ही इस योजना का लाभ दिया है बाकी किसान सरकारी ऑफिस के चक्कर लगाते लगाते थक गए हैं उनको मिला तो सिर्फ आश्वासन। जब इस बात की शिकायत विभाग के एक बड़े अधिकारी से की गई तो पता चला कि उनको अभी तक इस बात का पता ही नहीं था की लिस्ट कब गई है। जबकि सूत्रों से पता चला है कि कानूनीगो द्वारा ओलावृष्टि से प्रभावित किसानों की सूची 11 मार्च के बाद शासन को भेजी नहीं गई है। जिसकी सूचना कालपी तहसीलदार साहब को नहीं थी। जब किसानों ने इस बात की शिकायत उच्च अधिकारियों से करने की बात कही तो आनंद-फानन में कानून ने करीब एक माह बाद उसकी सूची शासन को ट्रांसफर की। आखिर कब तक चलेगा इस तरह का भ्रष्टाचार जहां भाजपा सरकार किसानों के हित के लिए ऊंचे ऊंचे वादे कर रही है वहां ऐसे लेखपाल ,कानूनगो सरकार की छवि को खराब करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। आखिर ऐसे भ्रष्टाचारी अधिकारियों पर सरकार की कब नज़र पड़ेगी कब होगी इन पर सख्त से सख्त कार्यवाही ।

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