प्रतिबंध के बावजूद धड़ल्ले से पकड़ी जा रही मछलियां, प्रशासन के आदेशों की उड़ाई जा रही धज्जियां
फिल्मों पर खुलेआम हो रहा मछली का व्यापार जिम्मेदार मौन
अमित गुप्ता
संवाददाता
कालपी जालौन वर्षा काल यानी 15 जून से 15 अगस्त तक मछलियों के प्रजनन का समय होने की वजह से जलाशयों नदियों में मत्स्याखेट पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया जाता है। इसके बावजूद नगर के जलाशय नदी क्षेत्र में रोजाना मत्स्याखेट हो रहा है। मत्स्य विभाग मत्स्याखेट प्रतिबंध का आदेश सिर्फ खानापूर्ति साबित हो रहा है। नगर क्षेत्र में रोज जाल बिछाकर मत्स्याखेट हो रहा है तहसील क्षेत्र में प्रतिबंध के बावजूद जलाशयों नदी नालों में धड़ल्ले से बेरोकटोक मत्स्याखेट जारी है।
बताते चलें कि नगर के मछली ठैको पर खुलेआम हो रहा मत्स्य का व्यापार अधिकारी क्यों है मौन रोजाना लगभग 1 से 2 कुंटल मछली पकड़ी जा रही है इसके बावजूद विभाग को देखने की भी फुर्सत नहीं है मछली प्रतिबंध का आदेश बेअसर होता नजर आ रहा है। प्राकृतिक व बरसाती नदियों तथा छोटे बड़े जलाशयों वाले जिलों में हर साल 2 महीनों के लिए मत्स्याखेट पर प्रतिबंध रहता है। इसके बावजूद भी आदेश का पालन किसी भी स्तर पर गंभीरता के साथ सुनिश्चित नहीं हो पा रहा है इस समय मछलियों के प्रजनन काल के मद्देनजर मछलियों के शिकार विक्रय एवं परिवहन पर पूर्णता प्रतिबंध लगा हुआ है। इसके बावजूद यमुना पट्टी के किनारे मछलियों का शिकार कर तस्करी धड़ल्ले से हो रही है रोक के बावजूद कई दिनों से कुछ मछुआरे सक्रिय हैं जो बंसी ट्यूब और जाल की सहायता से मछलियां पकड़ कर बिक्री के लिए नगर क्षेत्र में सप्लाई कर रहे हैं नगर के यमुना पट्टी पर सरेआम मछलियां बेची जा रही हैं। शाम व सुबह होते ही शिकारी यमुना पट्टी पर पहुंच जाते हैं और मछलियां पकड़ते हैं देर शाम व सुबह काफी समय तक मछलियों की बेरोकटोक शिकार जारी रहता है और खरीद फरोख्त की जा रही है। इसके अलावा कई होटलों पर भी मछली खपाई जा रही है साथ ही वाहनों के जरिए मछली बिक्री के लिए अलग-अलग गांव में भेजी जा रही है एवं अलग-अलग स्थानों से लाकर नगर में बेरोकटोक बेची जा रही है।
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