रामलीला में जनक बाजार की लीला को देखकर भाव विभोर हुए दर्शक

कोंच (जालौन) नगर की ऐतिहासिक रामलीला में शुक्रवार रात 'पुष्प वाटिका और जनक बाजार लीला' का मंचन रामलीला रंगकर्मियों द्वारा किया गया। सीता स्वयंवर देखने अपने गुरु विश्वामित्र के साथ जनकपुर पहुंचे दाशरथि राम और लक्ष्मण गुरु की आज्ञा पाकर जनकपुर भ्रमण पर निकलते हैं। बाजार में बैठे दुकानदार और व्यवसायी उनकी मोहिनी छवि देखकर उनसे बात करने को आतुर हो उठते हैं और उन्हें रिझााने के लिए अपनी वाणिज्यिक वस्तुओं की बड़ाई करने लगते हैं। जनकपुर की महिलाएं और बालाएं भी उन दोनों की एक झलक पाने को आतुर दिखती हैं। बाद में गौरी पूजन के लिए आई जनकनंदिनी सीता और राम का पुष्प वाटिका में प्रथम दर्शन होता है।
गल्ला व्यापारियों की धार्मिक संस्था धर्मादा रक्षिणी सभा द्वारा संचालित कोंच की ऐतिहासिक रामलीला के जारी 171 वें महोत्सव में शुक्रवार रात्रि हुए पुष्पवाटिका और जनक बाजार लीला के मंचन में दिखाया गया कि महर्षि विश्वामित्र के साथ राम और लक्ष्मण सीता स्वयंवर देखने जनकपुर पहुंचे जहां मार्ग में पाषाण शिला बनी पड़ी अहिल्या का राम ने उद्घार किया और महाराज जनक के अतिथि भवन में विश्राम किया। गुरु की आज्ञा पाकर दोनों भाई जनकपुर देखने के लिए निकलते हैं। दोनों भाइयों की मोहिनी छवि देखने के लिए जनकपुर की अट्टालिकाओं पर महिलाओं और बालाओं की कतारें लगीं हैं। जब दोनों भाई जनक बाजार में पहुंचते हैं तो उनकी मनोहारी छवि देख कर दुकानदार भी ठगे से रह जाते हैं और उनसे बात करने के लिए अपनी अपनी वाणिज्यिक वस्तुओं की बड़ाई करने लगते हैं। बाद में पुष्प वाटिका में गौरी पूजन के अपनी सखियों के साथ आईं जनकनंदिनी सीता का राम के साथ प्रथम दर्शन होता है। लीला में सभी पात्रों ने अपने किरदारों के साथ पूरा न्याय करने का सुंदर प्रयास किया। समाजी राधारमण गुबरेले और व्यासजी अमित नगाइच रामलीला के अमंचित प्रसंगों को दोहों और चौपाइयों के माध्यम से आगे बढा रहे थे।
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