मनरेगा में अधिकारियों की मिलीभगत से एक ही कार्य के होते हैं कई बार भुगतान
अमित गुप्ता
उरई (जालौन)
जालौन /अवगत कराते हैं ग्राम पंचायत से पहले ग्राम प्रधानों के विकास की चाबी से कैसे देखते ही देखते बदल जाती है ग्राम प्रधान बनते ही प्रधान जी के घर की और स्वयं की सूरत,प्रधान जी के विकास में अमृत का कार्य करता है मनरेगा जहाँ भारत देश के यशश्वी प्रधानमंत्री आदरणीय नरेन्द्र मोदी जी एवं उत्तर प्रदेश के यशश्वी मुख्यमंत्री आदरणीय योगी आदित्यनाथ जी जीरो टॉलरेंस की नीतियों पर आधारित भ्रष्टाचार मुक्त भारत का सपना अपनी आँखों मे सँजोकर दिनरात मेहनत करते नही थकते वही विभागीय अधिकारियों की संलिप्तता से भ्रष्टाचार चरम पर पहुँचता हुआ दिख रहा जनपद जालौन के ब्लॉक कुठौंद के अधिकारियों के रहमोकरम पर ग्राम पंचायतों में ग्राम प्रधान
भ्रष्टाचार करने की फुल फोम में बैटिंग कर रहे हैं और जो पंचायत सर्वाधिक भ्रष्टाचार करती है अधिकारियों की मिलीभगत से उसी पंचायत को प्रोत्साहन राशि और सम्मानित के लिए भी चयन किया जाता है पाँच वर्षों के कार्यकाल में एक कच्चे (चकरोड,मेड़बंदी) कार्य को कम से कम तीन बार किया जाना आम बात है और फिर जैसी सांठ गाँठ सम्भव हो सके पहली प्राथमिकता से अपने घरों के जॉबकार्ड धारकों की हाजिरी फिर अपने चहेतों और कमीशन वाले जॉब कार्ड उसके बाद बचे तो गरीब आम जनता मजदूरों के जॉबकार्ड में हाजिरी दर्ज की जाती है आपको बताते चले ग्राम पंचायत कुरेपुरा कनार में बृजलाल के कुआ से देवेन्द्र दीक्षित के खेत तक जलरोक बांध निर्माण कार्य,रसूलपुर सड़क से जूनियर हाईस्कूल तक जलरोक बांध निर्माण कार्य,तालाब सफाई खुदाई कार्य,मेड़बन्दी कार्य,गूल सफाई कार्य के नाम पर निरन्तर धन निकासी जारी रहती है और जब बारिश होती है तो पानी किसानों के खेतों अपना स्वयं का तालाब बनाकर फसलों को नष्ट करते हैं फसलो के बर्बादी में ग्राम प्रधान व मनरेगा भी पूर्णतः जिम्मेदार है क्योंकि मानक के अनुरूप तो कुछ होता नही बस कौन सर्वाधिक मनरेगा करवा पा रहा इसकी होड़ जो रहती है पंचायतों में एक ही कार्य को जब बार बार करवाया जाता है तो उसका भुगतान निकालने के लिए अपने स्वयं के एवं चहेतों के जॉबकार्ड उपयोग में लाये जाते हैं जिसमें ग्राम प्रधान कुरेपुरा कनार ने अपने छोटे पुत्र ध्रुव के नाम पर 94734 रुपये की मोटी रकम एवं अपनी बड़ी पुत्र वधू अर्पणा(हर्ष)के नाम पर 78743 रुपए,अपने सगे भाई रामदास के नाम पर 51046 रुपए,अपने सगे भतीजों रामदास के पुत्रों सन्तोष के नाम पर 68945 रुपये व विनीत के नाम पर 65337 रुपये वही अपनी पुत्री सारिका के नाम पर 34671 रूपए बिल्कुल इसी तरह अपने नजदीकी पारिवारिक लोगों और एक बटा तीन के हिस्से के हिसाब से जैसे आपके जॉबकार्ड में पन्द्रह सौ रुपए डाले गए तो उसमें पाँच सौ रुपए बिना काम पर गए जॉबकार्ड धारक के और एक हजार रुपए प्रधान जी के प्रतिनिधि और कर्मचारी वसूली करते हैं और ग्राम पंचायत में मनरेगा करोड़ो का आंकड़ा पार कर लेता है ब्लॉक में शिकायत करने से नही होता है कुछ भी असर बल्कि ब्लॉक के अधिकारियों द्वारा स्वतः प्रधान जी को बुलाकर नाम सहित अवगत करा दिया जाता है कि आपके गाँव के व्यक्ति ने आपकी शिकायत की है जिससे प्रधान जी पूरे परिवार सहित बारी बारी से शिकायत कर्ता पर दबाव बनाते डराते धमकाते पूर्व के कार्यकाल में तो फर्जी मुकदमों में फंसाने की भी धमकियां दी गई थी जिससे शिकायत कर्ता चुपचाप होकर बैठ जाते हैं दिनाँक 11 जुलाई 2024 को जाँच करने आई टीम ने घिलौआ विद्यालय में जाँच की तो ज्ञात हुआ कि विद्यालय में अतिरिक्त कक्ष में टाइल्स फिटिंग के नाम पर धन की निकासी दो वर्ष पूर्व ही की जा चुकी है उसके बावजूद भी अतिरिक्त कक्ष में टाइल्स फिटिंग नही हुई और न ही दो वर्षों के बीत जाने उपरांत प्रधान जी ने सरकारी धन को सरकारी कोष में वापसी भी नही किया पूर्व के कार्यालय में प्रधान जी ने ठेकेदार के नाम पर एक मुश्त मोटा धन चार से पाँच किस्तों में बाईस लाख चौहत्तर हजार रुपये भी ट्रांसफर किया जिसकी शिकायत की गई उस पर भी कोई कार्यवाही नही हुई शिकायत कर्ता ने जनसूचना के माध्यम से मोटे धन का व्योरा माँगा तो ग्राम पंचायत अधिकारी द्वारा 134 पृष्ठ की छायाप्रति का शुल्क ग्रामनिधि खाता में जमा कराने के बाद कुल 60 पृष्ठ शिकायत कर्ता को भेजकर अपना पल्लू झाड़ लिया ब्लॉक में जब भी कोई जनसुनवाई पोर्टल से सम्बंधित सूचना शिकायत आती है तो ब्लॉक के अधिकारियों द्वारा जाँच आख्या रिपोर्ट में लिखा जाता है कार्य सन्तोष जनक है प्रधान जी द्वारा कोई भ्रष्टाचार नही किया गया शिकायत कर्ता द्वारा की गई शिकायत झूठी व निराधार है जहाँ प्रदेश के मुखिया स्वयं से सीधे जुड़े रहने के लिए विश्वसनीय पोर्टल जनसुनवाई के माध्यम से अवगत होकर कार्यवाही की बात कहते हैं वही विभागीय अधिकारियों द्वारा प्रत्येक शिकायत में पहले से रटा हुआ टाइप किया पत्र लिखकर जनसुनवाई पोर्टल पर चिपका दिया जाता है अगर ब्लॉक के अधिकारियों व उच्च अधिकारियों का यही रवैया है तो शिकायत कर्ता हो मजबूर होकर थककर हताश होकर शांत बैठ ही जायेगा शायद इसी स्थिति तक लाने को अधिकारी अपनी कलम शिकायत कर्ता की शिकायतों पर चलाते रहते हैं
What's Your Reaction?