सनातनी परम्परा में मकर संक्रांति का बिशेष महत्व

Jan 14, 2025 - 18:09
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सनातनी परम्परा में मकर संक्रांति का बिशेष महत्व

कोंच (जालौन) सनातनी मान्यताओं के अनुसार इस दिन सूर्यदेव राशि परिवर्तन करके मकर राशि में गोचर करते हैं जो बहुत खास होता है क्योंकि सूर्य को सभी राशियों का राजा माना जाता है और मकर संक्रांति के दिन सूर्य के गोचर से जहां खरमास खत्म होता है वहीं बसन्त ऋतु का आगमन का भी संकेत मिलता है मान्यता के अनुसार अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में सूर्य गृह की स्थिति कमजोर है तो मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव की बिशेष पूजा करते हुए दान और पुण्य करने से लाभ और शुभ फल की प्राप्ति होती है पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव अपने पुत्र शनि के घर जाते हैं चूंकि शनि मकर व कुम्भ राशि का स्वामी है इसी लिए यह पर्व पिता पुत्र के अनोखे मिलन से भी जुड़ा है वहीं आज ही के दिन असुरों पर भगवान विष्णु ने विजय प्राप्त की थी मकर संक्रांति पर सूर्योदय के समय पूजा और ध्यान करते हुए नदियों में स्नान और तिल गुण खाकर अच्छे कार्यों की शुरुआत करना आध्यात्मिक रूप से व्यक्ति को शुद्ध व ऊँचा बनाता है बैज्ञानिक तौर पर पृथ्वी का निरंतर 6 महीने के समय अवधि के उपरांत उत्तर से दक्षिण की ओर वलन कर लेना होता है जिसे धार्मिक शब्दों में उत्तरायण कहा जाता है सनातन धर्म में मकर संक्रांति का बिशेष महत्व है जिसके लिए हम सभी सनातनी मिलकर सूर्य भगवान की उपासना के बाद कुम्भ और अर्ध कुम्भ या फिर संगम पर स्नान कर भगवान का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं और दान करके पुण्य के साथ साथ गरीब लोगों की मदद भी करते हैं।

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