एक ऐसी परंपरा जो पूरे हिंदुस्तान में बुंदेलखंड के अलावा कहीं दिखाई नहीं देती
कोंच(जालौन) दीपावली का त्यौहार पूरे देश मे बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है और हर जगह अपने ही अंदाज में त्यौहार मनाये जाने की परंपरा है वहीं अपनी लोक संस्कृति के लिए विख्यात बुन्देलखण्ड में दिवाली के नृत्य की धूम देखने को मिल रही है जिसमें दिवारी नृत्य करने वाले सिर पर मोर पंख बांधकर लाल पीले बस्त्र पहनते हैं और आपस मे लाठियां भांजते हुए ढोल नगाड़ों की थाप पर नाचते हैं इस नृत्य को मोनिया नृत्य भी कहते हैं.
मान्यता है कि इसे गोवर्धन पर्वत उठाने के बाद भगवान कृष्ण की भक्ती में प्रगति पूजन परम्परा के तौर पर मनाया जाता है जिसमे दिवारी नृत्य करने वाली टोली वारा वारा गांव जाकर वार साल तक नृत्य करती है जब एक टोली इसे शुरू करती है तो उसे मौन साधना कर बारह अलग अलग ग्रामों में बार साल तक भ्रमण करती है इसके बाद इसका बिसर्जन कर दिया जाता है और फिर अगली टोली इस व्रत का बीड़ा उठाती है.
यह व्रत पूरी तरह कृष्ण भक्ति को समर्पित है जिसमें प्रकति और गौवंश के प्रति संरक्षण का नाम दिया जाता है और टोलियां मोनिया नृत्य करते हुए साज बाज और पारम्परिक गीतों की धुन पर नाचते हुए निकलते है टोली मे प्रभु कुशवाह वलु कुशवाह पप्पू कुशवाह बल्ले चौहान राज बहादुर कुशवाह नंदू इसी परम्परा को निभाते हुए नृत्य कर लोगों का मन मोह लिया
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