उल्टी दस्त एवं वायरल फीवर की अस्पतालों में बढ़ी मरीजों की संख्या
जिला संवाददाता
अमित गुप्ता
रामपुरा जालौन
रामपुरा जालौन। बरसात का मौसम उमश भरी गर्मी और के कारण बिभिन्न प्रकार की बीमारियां पनपने लगी हैं वायरल फीवर, उल्टी दस्तो से अस्पताल भरे पड़े हैं यही हाल रामपुरा स्थिति प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का है चिकित्सा अधीक्षक प्रदीप राजपूत ने बताया कि अचानक से वायरल फीवर टाइफाइड उल्टी दस्त से अस्पताल में मरीजों की संख्या दोगुनी से अधिक हो गई है पहले दिनभर में लगभग 50 से 80 मरीज आते थे लेकिन अब 250 से 300 के आसपास मरीज प्रतिदिन रामपुरा स्वास्थ्य चिकित्सालय में इलाज के लिए आ रहे हैं। रामपुरा अस्पताल की व्यवस्था जिले के अन्य अस्पतालों की अपेक्षा बहुत अच्छी होने के कारण दूर दराज तथा दूसरे क्षेत्र से भी भारी संख्या में मरीज इलाज कराने आते हैं कुछ मरीज इटावा जिले के चकरनगर क्षेत्र से भी अपना इलाज कराने रामपुरा आते हैं। हमनें ऐसे ही एक मरीज मलखान सिंह परिहार से पूछा जो बिठौली चकरनगर इटावा से इलाज कराने रामपुरा आए थे तो उन्होंने बताया कि चिकित्सा अधीक्षक प्रदीप कुमार राजपूत रामपुरा सरकारी अस्पताल की व्यवस्था और डॉक्टरों की अच्छी देखरेख की वजह से वो यहां इलाज कराने आते हैं रामपुरा अस्पताल किसी प्राइवेट अस्पताल की तरह ही अपने मरीजों का इलाज करता है जो भी जांचे हैं उनमें से अधिकतर जांचे अस्पताल में ही आसानी से हो जाती हैं अगर वही जांचे बाहर किसी प्राईवेट लैब से हो तो लोगों के हजारों रुपए खर्च होंगे, अस्पताल में मरीजों के बैठने के लिए बरामदे में कुर्सियां और पंखो की व्यवस्था, लाइट न होने की स्थिति में जनरेटर, वाटर कूलर एवं आधुनिक सुविधाओं से लैस रामपुरा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र जिले के सबसे अस्पतालों में से एक है जबसे चिकित्सा अधीक्षक प्रदीप राजपूत ने रामपुरा स्वास्थ्य केंद्र का चार्ज संभाला है तब से वो निरंतर व्यवस्था को और सुदृढ़ बनाने में लगे हुए हैं। डॉ प्रदीप राजपूत का कहना है मरीजों के अच्छे इलाज का हर संभव प्रयास उनकी टीम द्वारा किया जायेगा उनकी कोशिश रहेगी कि मरीजों को सुविधा हो जो उन्हें बाहर रेफर न करना पड़े। वहीं पड़ोस में माधौगढ़ स्वास्थ्य केंद्र राजनीति का अड्डा बना हुआ है किसी भी छोटे से प्रकरण में मरीजों को तुरंत जिला अस्पताल उरई के लिए रेफर कर देते हैं अधिकतर दवाइयां और जांचे बाहर प्राइवेट लैब के लिए लिखकर गरीब जनता के पैसों से अपना कमीशन कमाते हैं और सरकार के मंसूबों के खिलाफ काम करते हैं जो सरकार जनकल्याण के उद्देश्य के लिए जन औषधि केंद्र और आधुनिक सुविधाओं से लैस प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर जोर दे रही है।
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