चंबल मैराथन में 42 किलोमीटर दौड़ कर विजेता बने मुरैना के शैलेंद्र
व्यूरो रिपोर्ट जालौन
पचनद जालौन पचनद, कड़ाके की सर्दी और घने कोहरे पर युवाओं का जोश भारी पड़ा। रविवार को चंबल मैराथन के चौथे संस्करण का आयोजन पांच नदियों के महासंगम पचनद में किया गया। पचनद क्षेत्र के जूहिखा गांव में चंबल परिवार के प्रमुख डॉ शाह आलम राना ने 42.195 किलोमीटर की मैराथन की दौड़ को सिग्नल देकर रवाना किया।
चंबल मैराथन में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान के धावकों ने हिस्सा लिया। इटावा, औरैया और जालौन तीन जनपदों के बीहड़ी क्षेत्र में दुर्गम रास्तों और घने कोहरे के बीच यह दौड़ हुई। युवा धावकों में मैराथन को लेकर जबर्दस्त जोश दिखा। जुहिखा से कंजौसा, बिठौली, चौरेला, हरकेपुरा, सुल्तानपुरा, बिलौड़, जायघा,कर्रा, मई, जगम्मनपुर होते हुए 42.195 किलोमीटर की यह मैराथन दौड़ वापस जुहीखा में संपन्न हुई।
घने कोहरे के बीच औरैया जिला प्रशासन, जालौन और इटावा प्रशासन की पुलिस फोर्स और डॉक्टरों की टीम व्यवस्था बनाए रखने और किसी भी आपात मदद के लिए उपस्थित रही।
मैराथन की दौड़ को जौरा, मुरैना के शैलेंद्र राठौर सबसे कम समय में पूरा करके विजेता बने। दूसरा स्थान औरैया के गंगदासपुर के सत्यपाल सिंह और तीसरा स्थान भिंड के शिवम सिंह ने हासिल किया।
विजेता धावकों को प्रमाणपत्र, शील्ड और ट्रैकसूट दिया गया। खेल प्रशिक्षक राधेगोपाल यादव और शहीद वंशज व इतिहासकार देवेंद्र सिंह चौहान ने विजेता धावकों को सम्मानित किया।
चंबल मैराथन के संस्थापक और दस्तावेजी लेखक डॉ. शाह आलम राना ने जानकारी देते हुए बताया कि इस बार की चंबल मैराथन ‘चंबल घोषणा पत्र’ को लागू कराने के नारे के साथ संपन्न हुई। इस दौरान रामनारायण, देवेंद्र सिंह, डॉ.कमल कुशवाहा, सुमित सिंह, सौरभ अवस्थी, कपिल तिवारी, अजय कुमार, रिंकू परिहार, आदिल खान, विनोद सिंह, प्रत्यूष रंजन,सुमित सिंह,सूरज रेखा त्रिपाठी आदि मौजूद रहे।
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