कालपी जालौन कालपी बिधानसभा का विकास खण्ड महेवा क्षेत्र दशकों तक दस्यु समस्या से जूझता रहा जिसके चलते विकास से कोसों दूर रहा नदी नालों और जंगलों से घिरे इस क्षेत्र के अधिकांश गांव आज भी सड़क सिचाई शिक्षा स्वास्थ बिजली पानी की समस्याओं से छुटकारा नहीं पा पाए हैं!मुख्यालय से दूर दराज बीहण में बसे छोटे छोटे गांव मजरों में अभी तक वह सुविधाएं मयस्सर नहीं हुई हैं जो विकसित भारत की श्रेणीं मे आती हैं !
आज बात करते हैं महेवा विकास खण्ड की ग्राम सभा पड़री की जिसमें लगता है मजरा नरहान उक्त गांव तीन ओर जंगल और एक ओर यमुना से घिरा है इस गांव में मुख्यालय कालपी से पहुंचने के दो रास्ते है एक सड़क मार्ग जिससे जाने में लगभग 33 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है दूसरा रास्ता है जिससे मात्र 11 किलोमीटर ही है पर यह मार्ग बरसात में लगभग चार माह एकदम से बन्द रहता है कारण पड़री से नरहान के बीच लगभग दो ढाई किलोमीटर का कच्चा ऊबड़ खाबड़ रास्ता जिसे बनवाने के लिए उक्त गांव के किसान दशकों से मांग करते आ रहे है सांसद बिधायक जिला पंचायत विकास खण्ड हर चौखट पर गुहार लगा चुके हैं पर आज तक कहीं भी इसकी सुनवाई नहीं हुई!दूसरी मुसीबत यमुना का कटाव साल दर साल यमुना का कटाव गांव की ओर हो रहा है जिसके चलते गांव का अस्तित्व तो खतरे में है ही साथ ही यहां के किसानों की सैकडों एकड़ उपजाऊ भूमि यमुना में समा चुकी है यह सिलसिला आज भी जारी है इसके चलते कई किसान तो भूमि हीन हो चुके हैं आज यमुना की जलधारा यहां के किसानों की भूमि से बह रही है वही लगभग पांच सौ एकड़ कछार भूमि पर एक भी सरकारी नलकूप नहीं है सिचाई विहीन भूमि पर वर्ष में एक ही फसल बामुश्किल हो पाती है वो भी समय से वर्षा हो जाए और चौबीसों घंटे अन्ना व जंगली जानवरों से रखवाली करने के बाद यमुना की बाढ़ से लगभग बीस वर्षों से खरीब की फसल तो हो ही नहीं पाती ! यहां का सौ प्रतिशत किसान बैंक य साहूकारों के कर्ज से आकंठ तक डूबा है ब्याज के ऊपर ब्याज बढ़ता जा रहा है खेती में उतना अन्न भी नहीं हो पाता जिससे परिवार का भरण पोषण भी हो सके मूल धन तो छोड़िए बैंको का ब्याज भी नहीं भर पाते जिसके चलते हालात ये हैं कि बैकैं कहीं इनकी खेती भी नीलाम न कर दें!तमाम सरकारी योजनाएं आती हैं पर प्रधान सचिव लेखपाल तक ही सीमित रह जाती हैं ग्रामीणों को पचीस प्रतिशत भी उन योजनाओं का लाभ मिल जाए तो बहुत बडी़ बात है! ऊबड़ खाबडध ऊंची नीची भूमि है जिसके सुधार की योजनाएं आती हैं पर वह भी इन बीहण के गांवों मे कारगर साबित हो पातीं चाहे भूमि समतली करण हो य खेत तालाब योजना सब बेमतलब ही रहतीं हैं!दूर दराज बीहण के गांवों में अधिकारी भी यदा कदा ही पहुंचते हैं जिसके चलते इन गांवों के प्रधान और सचिव भी अपनी मन मर्जी के मालिक है शिक्षा की दशा भी बहुत दयनीय है प्राथमिक विद्यालय तो हैं पर इनमें अध्यापक हफ्ते में एक दो ही बार पहुंचते है शिक्षा मित्र और रसोइया के भरोसे ही शिक्षा मिल पाती है!सड़के है पर इतनी जर्जर स्थिति है कि उनपर पैदल चलना भी दूबर है!बिजली है पर एक बार खराब हो जाए य ट्रांसफार्मर जल जाऐ त़ महिनों लग जाते हैं ठीक होने में यही हाल सरकारी नलकूपों का है साईफन चोक हैं नालियां टूटी हैं आपरेटर साब यदा कदा ही दर्शन देते हैं!
ग्राम सभा की भूमि हो पंचायत घर हो खलिहान की भूमि हो य गौचर भूमि य खेल के मैदान सब पर ग्राम प्रधान य दबंगो का कब्जा है!कोई कहने सुनने वाला नहीं है!क्या कभी वह समय आयेगा जब इन अनपढ़ गरीब किसानों को भी विकसित भारत की विकास परक योजनाओं का लाभ मिल पाएगा सब भगवान भरोसे है कोई क्या कर सकता है!